भारतीय दर्शन में निरोगी रहना प्रथम सुख माना गया है. यथा- ” पहला सुख निरोगी काया” यह बिल्कुल सत्य है कि निरोगे शरीर ही प्रथम सुख है और बाकी सभी सुख निरोगी शरीर पर ही निर्भर करते हैं आजकल के दौड धूप के युग में पूर्णतः निरोगी रहना अधिकांश व्यक्तियों के लिये एक स्वपन के समान ही है. निरोगी शरीर का अर्थ है शरीर रोग का से रहित होना . रोग दो प्रकार के होते है एक- साध्य रोग जो कि उचित उपचार, आहार,व्यबहार ठीक हो जाते हैं दूसरे – असाध्य रोग जो कि उपचार के बाद भी व्यक्तिओं का पीछा नही छोडते है. इन्ही असाध्य रोगों मे अधिकाश रोग जिन्दगी भर साथ रहते है तथा उचित उपचार के साथ जिन्दगी के लिये घातक नही होते हैं परन्तु दो असाध्य रोग ऐसे है जिनका कोई उपचार नही है तथा वे दोनो रोगी की जान लेकर ही रहते हैं वे दो रोग हैं १. कैंसर २. एड्स.
इस आलेख मे कैंसर रोग के ज्योतिषीय पहलू का विवेचन करते है आइये पहले यह जाने कि कैंसर रोग क्या है. आयुर्वेद के अनुसार त्वचा की छठी परत जिसे आयुर्वेद मे रोहिणी कहते है जिसका संस्कृत मे अर्थ है कोशिकाओं की रचना. जब ये कोशिकाये क्षतिग्रस्त होती हैं तो शरीर के उस हिस्से मे एक ग्रन्थि बन जाती है इस ग्रन्थि को असमान्य शोथ भी कहती है.जिसे आयुर्वेद मे बिभिन्न स्थान और प्रकार के नामों से जाना जा ता है जैसे: अर्बुद, गुल्म, शालुका आदि. जब ये शोथ त्रिदोषों (वात,पित्त,कफ) के नियंत्रण से परे हो जाते हैं . तब यह ग्रन्थि कैंसर क रूप ले लेती हैं
ज्योतिष पूर्वजन्म के किये हुए कर्मो का आधार है अर्थात हम ज्योतिष द्वारा ग्यात कर सकते हैं कि हमारे पूर्वजन्म के किये हुए कर्मो का परिणाम हमे इस जन्म मे किस प्रकार प्राप्त होगा ज्योतिर्विग्यान के अनुसार कोई भी रोग पूर्व जन्मकृत कर्मों का ही फल होता है. ग्रह उन फलों के संकेतक हैं, ज्योतिष विग्यान कैंसर सहित सभी रोगों की पहचान मे बहुत ही सहायक होता है. पहचान के साथ –साथ यह भी मालूम किया जा सकता है कि कैंसर रोग किस अवस्था मे होगा तथा उसके कारण मृत्यु आयेगी या नही, यह सभी ज्योतिष द्वारा सटीक जाना जा सकता है कैम सर रोग की पहचान निम्न ज्योतिषीय योग होने पर बडी आसानी से की जा सकती है.
ज्योतिष रत्न के पाठ २४ के अनुसार;
१. राहु को विष माना गया है यदि राहु का किसी भाव या भावेश से संबन्ध हो एवम इसका लग्न या रोग भाव से भी सम्बन्ध हो तो शरीर मे विष की मात्रा बढ जाती है
२. षष्टेश लग्न ,अष्टम या दशम भाव में स्थित होकर राहु से दृष्ट हो तो कैंसर होने की सम्भावना बढ जाती है
३. बारहवे भाव मे शनि-मंगल या शनि –राहु,शनि-केतु की युतिहो तो जातक को कैंसर रोग देती है.
४. राहु की त्रिक भाव या त्रिकेश पर दृष्टि हो भी कैंसर रोग की संभावना बढाती है.
इनके अलावा निम्न बिन्दु भी कैसर रोग की पह्चान के लिये मेरे अनुभव सिद्ध है
१ षष्टम भाव तथा षष्ठेश पीडित या क्रूर ग्रह के नक्षत्र मे स्थित हो
२ बुध ग्रह त्वचा का कारक है अतः बुध अगर क्रूर ग्रहो से पीडित हो तथा राहु से दृष्ट हो तो जातक को कैसर रोग होता है
३ बुध ग्रह की पीडित या हीनबली या क्रूर ग्रह के नक्षत्र मे स्थिति भी कैंसर को जन्म देती है
बृहत पाराशरहोरा शास्त् के अनुसार षष्ठ पर क्रूर ग्रह का प्रभाव स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद होता है यथा ” रोग स्थाने गते पापे , तदीशी पाप..
अतः जातक रोगी होगा और यदि षष्ठ भाव में राहु व शनि हो तो असाध्य रोग से पीडित हो सकता है आइये इन तथ्यों को एक उदाहरण कुन्डली देकर समझाते है एक जातक का जन्म २७-३-१९९३ को दिन में १० बजकर ३० मिनट पर आसान सोल (पस्चिम बंगाल) मे हुआ था, यहा इस जातक की जन्म एव्म नवमांश कुन्डली दे रहे हैं
लग्न कुन्दली मे लग्नेश बुध षडबल मे हीन बली होकर अष्ट्मेश शनि के साथ है तथा षष्ठेश मंगल लग्न मे है इसके अलावा राहु को विष माना गया है और राहु यहां रोग स्थान में स्थित है और वृष्चिक राशि मे स्थित होने से और भी दूषित हो गया है यहा गौर तलब है कि वृश्चिक राशि विष का प्रतीक है अतः कैसर रोग की संभावना व्यक्त करती है बुध हीन् बली होकर राहु के नक्षत्र मे स्थित है और गुरु वक्री होकर षष्ठेश से दृष्ट है एवम राहु और मंगल की पाप करतरी मे है. ये सभी योग कैंसर रोग होने का संकेत कर रहे है
राहु का त्रतीयेश सूर्य से दृष्टि सम्बन्ध है सूर्य रक्त का भी कारक होता है इस जातक को रक्त कैसर था. जैमिनी मतानुसार यह जातक अलपायु है और इसकी मृत्यु रक्त कैसर से दिनाक २०-११-२००९ को दिन मे १३ बज्कर ३० मिनट पर बंगलौर के एक अस्पताल मे मात्र १६ वर्ष की उम्र मे हो गयी .
२०-११-२००९ के उपर्युक्त समय की कुन्डली बना कर देखे तो लग्नेश शनि अष्टम भाव मे स्थित है मंगल नीच रशि मे षष्ठम भव मे है तथा गुरु नीच राशि मे नीच के मंगल से दृष्ट है अष्टमेश बुध शनि से दृश्ट है , षष्टेश चन्द्र भी राहु से ११ मे पीडित है ये सभी योग इस दिन जातक को मृत्यु देने मे कामयाब हो गये,
इस प्रकार ज्योतिष द्वारा कैसर जैसे भयानक रोग का पता आसानी से लगाया जा सकता है