कितना आवश्यक है? ध्यान और त्राटक विद्यार्थियों के लिए
आचार्य राम हरी शर्मा (ज्योतिष रत्न, एम ए , शिक्षा स्नातक )
आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति कुछ न कुछ तनाव की स्थिति में जीवन व्यतीत करता है । तनाव पूर्ण माहौल में रहते हुये भी तनाव से मुक्त रहे, ऐसा हर कोई चाहता है । इस संदर्भ मे कई लोग मनोवैज्ञानियों के पास चक्कर काटते हैं । कुछ लोग तनाव से बचने के लिए दवाइयाँ खाते हैं । परंतु ये सभी उपाय स्थाई रूप से कारगर नहीं हैं । तनाव से बचाने के लिए ध्यान सर्वोत्तम है । ध्यान की महिमा हमारे ग्रंथो ने भी गई है। यथा :
नास्ति ध्यानसमं तीर्थम । ध्यान के समान कोई तीर्थ नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं दानम । ध्यान के समान कोई दान नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं यज्ञम । ध्यान के समान कोई यज्ञ नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं तपम । ध्यान के समान कोई तप नहीं है ।
तस्मात ध्यानम समाचरेत। अतः हर रोज ध्यान करना चाहिए ।
विदयार्थी जीवन में तो ध्यान की अति आवश्यकता है। बड़े –बड़े विज्ञानी भी ध्यान किया करते थे। सफल विज्ञानी आइंस्टीन से जब पत्रकारों ने उनकी सफलता का राज पूछा तो वे उन्हें अपने ध्यान कक्ष में ले गए और बताया मेरी सफलता का राज यह एकांत कमरा है जहाँ मैं नित्य ध्यान करता हूँ । अतः हमें भी निश्चित सफलता प्राप्त करने ले लिए नित्य ध्यान एवं त्राटक करना चाहिए।
सूर्योदय से पहले उठकर , नित्य कर्म करके गरम कंबल अथवा टाट का आसान बिछा कर पद्मासन में बैठें । अपने सामने भगवान या अपने इष्ट देव का चित्र रखें । धूप एवं अगरबत्ती जलाकर वातावरण को सुगन्धित कर लें । फिर दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रख लें । थोड़ी देर चित्र को बिना पलक झपकाए देखें । इसके वाद आँख बंद करके आज्ञा चक्र में ध्यान करें और अपनी आती जाती हुई साँसों को 108 गिनती तक गिनें अगर बीच में गिनती भूल जायें तो दुबारा एक से शुरू करें । जब 108 गिनती पूरी हो जाए तब धीरे से आँख खोल लें।
ऐसा करने से मन शांत रहता है, एकाग्रता व स्मरणशक्ति बढ़ती है , बुद्धि सूक्ष्म होती है, शरीर निरोग रहता है । सभी दुख दूर रहते हैं । परम शांति का अनुभव होता है । कई गुना कार्य क्षमता बढ़ जाती है
त्राटक महिमा
ध्यान के समान ही एकाग्रता बढाने के लिए त्राटक बहुत मदद करता है। त्राटक का अर्थ है दृष्टि को बिना हिलाये एक ही स्थान पर स्थित कर देना। विद्यार्थियों की स्मरणशक्ति बढ़ाने का इससे अच्छा दूसरा उपाय नहीं है । त्राटक की विधि इस प्रकार है । एक फुट के वर्गाकार गत्ते के टुकड़े पर एक सफ़ेद कागज लगा दें । उसके केंद्र में एक रुपये के सिक्के के बराबर एक गोलाकार चिन्ह बनायें , इस गोलाकार चिन्ह के केंद्र में एक बिन्दु के बराबर छोड़कर बाकी भाग में काला रंग भर दें । बीच वाले बिन्दु में पीला रंग भर दें । अब इस गत्ते को दीवार पर इस प्रकार से लगाएं की पीला वाला विंदु बैठने पर आँख की सीध में आए । नित्य एक ही स्थान पर तथा एक ही निश्चित समय पर गत्ते के सामने बैठ जायें । आँख और गत्ते की दूरी तीन फुट रखनी चाहिए । पलकें गिराये बिना अपनी नजर उस पीले बिन्दु पर टिका दें ।अपनी क्षमता अनुसार पहले 5-10-15 मिनट तक बैठें । प्रारंभ में आँखें जलती हुई मालूम पड़ेंगी । लेकिन चिंता न करें । धीरे - धीरे अभ्यास द्वारा आधा घंटा तक बैठने से एकाग्रता में वहुत ही मदद मिलती है । फिर जो भी पढ़ेंगे वह याद रह जाएगा । इसके अलावा यह प्रयोग स्वस्तिक के चित्र , ॐ या दीपक की लौ पर भी कर सकते हैं ।
अगर उपर्युक्त दोनों प्रयोग एक महीने तक धैर्य के साथ किए जाय तो आपकी स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता में ऐसा चमत्कार होगा कि खुद ही आश्चर्य चकित हो जायेंगे । एक वार करके देखें ।निश्चित रूप से लाभ होगा । अगर आपको लाभ हो तो दूसरों को अवश्य बतायें।
आचार्य राम हरी शर्मा (ज्योतिष रत्न, एम ए , शिक्षा स्नातक )
आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति कुछ न कुछ तनाव की स्थिति में जीवन व्यतीत करता है । तनाव पूर्ण माहौल में रहते हुये भी तनाव से मुक्त रहे, ऐसा हर कोई चाहता है । इस संदर्भ मे कई लोग मनोवैज्ञानियों के पास चक्कर काटते हैं । कुछ लोग तनाव से बचने के लिए दवाइयाँ खाते हैं । परंतु ये सभी उपाय स्थाई रूप से कारगर नहीं हैं । तनाव से बचाने के लिए ध्यान सर्वोत्तम है । ध्यान की महिमा हमारे ग्रंथो ने भी गई है। यथा :
नास्ति ध्यानसमं तीर्थम । ध्यान के समान कोई तीर्थ नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं दानम । ध्यान के समान कोई दान नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं यज्ञम । ध्यान के समान कोई यज्ञ नहीं है ।
नास्ति ध्यानसमं तपम । ध्यान के समान कोई तप नहीं है ।
तस्मात ध्यानम समाचरेत। अतः हर रोज ध्यान करना चाहिए ।
विदयार्थी जीवन में तो ध्यान की अति आवश्यकता है। बड़े –बड़े विज्ञानी भी ध्यान किया करते थे। सफल विज्ञानी आइंस्टीन से जब पत्रकारों ने उनकी सफलता का राज पूछा तो वे उन्हें अपने ध्यान कक्ष में ले गए और बताया मेरी सफलता का राज यह एकांत कमरा है जहाँ मैं नित्य ध्यान करता हूँ । अतः हमें भी निश्चित सफलता प्राप्त करने ले लिए नित्य ध्यान एवं त्राटक करना चाहिए।
सूर्योदय से पहले उठकर , नित्य कर्म करके गरम कंबल अथवा टाट का आसान बिछा कर पद्मासन में बैठें । अपने सामने भगवान या अपने इष्ट देव का चित्र रखें । धूप एवं अगरबत्ती जलाकर वातावरण को सुगन्धित कर लें । फिर दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रख लें । थोड़ी देर चित्र को बिना पलक झपकाए देखें । इसके वाद आँख बंद करके आज्ञा चक्र में ध्यान करें और अपनी आती जाती हुई साँसों को 108 गिनती तक गिनें अगर बीच में गिनती भूल जायें तो दुबारा एक से शुरू करें । जब 108 गिनती पूरी हो जाए तब धीरे से आँख खोल लें।
ऐसा करने से मन शांत रहता है, एकाग्रता व स्मरणशक्ति बढ़ती है , बुद्धि सूक्ष्म होती है, शरीर निरोग रहता है । सभी दुख दूर रहते हैं । परम शांति का अनुभव होता है । कई गुना कार्य क्षमता बढ़ जाती है
त्राटक महिमा
ध्यान के समान ही एकाग्रता बढाने के लिए त्राटक बहुत मदद करता है। त्राटक का अर्थ है दृष्टि को बिना हिलाये एक ही स्थान पर स्थित कर देना। विद्यार्थियों की स्मरणशक्ति बढ़ाने का इससे अच्छा दूसरा उपाय नहीं है । त्राटक की विधि इस प्रकार है । एक फुट के वर्गाकार गत्ते के टुकड़े पर एक सफ़ेद कागज लगा दें । उसके केंद्र में एक रुपये के सिक्के के बराबर एक गोलाकार चिन्ह बनायें , इस गोलाकार चिन्ह के केंद्र में एक बिन्दु के बराबर छोड़कर बाकी भाग में काला रंग भर दें । बीच वाले बिन्दु में पीला रंग भर दें । अब इस गत्ते को दीवार पर इस प्रकार से लगाएं की पीला वाला विंदु बैठने पर आँख की सीध में आए । नित्य एक ही स्थान पर तथा एक ही निश्चित समय पर गत्ते के सामने बैठ जायें । आँख और गत्ते की दूरी तीन फुट रखनी चाहिए । पलकें गिराये बिना अपनी नजर उस पीले बिन्दु पर टिका दें ।अपनी क्षमता अनुसार पहले 5-10-15 मिनट तक बैठें । प्रारंभ में आँखें जलती हुई मालूम पड़ेंगी । लेकिन चिंता न करें । धीरे - धीरे अभ्यास द्वारा आधा घंटा तक बैठने से एकाग्रता में वहुत ही मदद मिलती है । फिर जो भी पढ़ेंगे वह याद रह जाएगा । इसके अलावा यह प्रयोग स्वस्तिक के चित्र , ॐ या दीपक की लौ पर भी कर सकते हैं ।
अगर उपर्युक्त दोनों प्रयोग एक महीने तक धैर्य के साथ किए जाय तो आपकी स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता में ऐसा चमत्कार होगा कि खुद ही आश्चर्य चकित हो जायेंगे । एक वार करके देखें ।निश्चित रूप से लाभ होगा । अगर आपको लाभ हो तो दूसरों को अवश्य बतायें।