5 काली चौदस / रूप चतुर्दशी : धनतेरस के बाद आती है ‘नरक चतुर्दशी(काली चौदस)’। भगवान श्रीक़ृष्ण ने नरकासुर को क्रूर कर्म करने से रोका। उन्होंने सोलह हज़ार कन्याओं को उस दुष्ट की कैद से छुड़ाकर अपनी शरण दी और नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया। नरकासुर प्रतीक है-वासनाओं के समूह और अहंकार का। जैसे, श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं को अपनी शरण देकर नरकासुर को यमपुरी पहुचाया, वैसे ही आप भी अपने चित्त में विधमान नरकासुर रूपी अहंकार और वासनाओं के समूह को श्रीक़ृष्ण के चरणों में समर्पित कर दो, ताकि आपका अहं यमपुरी पहुँच जाए और आपकी असंख्य श्रीकृष्ण के अधीन हो जायें ऐसा स्मरण करता हुआ पर्व है नरक चतुर्द्शी।
इन दिनों में अंधकार में उजाला किया जाता है। हे मनुष्य ! अपने जीवन में चाहे अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, आप अपने आत्मक़ृष्ण को पुकारना।
इस दिन संध्या के समय एक चार बत्ती वाला दीपक तेल से भरकर हाथ मैं जलता हुआ लेकर घर के बाहर यमराज की प्रसन्नता के लिए रख दे और प्रार्थना करे हे मृत्यु के देवता हम सभी पर आप सर्वथा प्रसन्न रहना ।
नोट: इस वर्ष नरक चौदस 11 Nov 2023 को है ।
इन दिनों में अंधकार में उजाला किया जाता है। हे मनुष्य ! अपने जीवन में चाहे अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, आप अपने आत्मक़ृष्ण को पुकारना।
इस दिन संध्या के समय एक चार बत्ती वाला दीपक तेल से भरकर हाथ मैं जलता हुआ लेकर घर के बाहर यमराज की प्रसन्नता के लिए रख दे और प्रार्थना करे हे मृत्यु के देवता हम सभी पर आप सर्वथा प्रसन्न रहना ।
नोट: इस वर्ष नरक चौदस 11 Nov 2023 को है ।