दीपावली : 12 नवम्बर 2023 (12 Nov 2023)
दीपों का त्यौहार-‘दीपावली’। दीपावली की रात्रि को सरस्वतिजी और लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। ज्ञानीजन केवल अखूट धन की प्राप्ति को लक्ष्मी नहीं, वित्त मानते हैं। वित्त से आपको बड़े-बड़े बंगले मिल सकते हैं, शानदार महंगी गाडियाँ मिल सकती हैं, आपकी लंबी-चौड़ी प्रशंसा हो सकती है परंतु आपके अंदर परमात्मा का रस नहीं आ सकता। इसीलिए दीपावली की रात्रि को सरस्वतीजी का भी पूजन किया जाता है, जिससे लक्ष्मीजी के साथ-साथ आपको विद्या भी मिले। वह विद्या भी केवल पेट भरने की विद्या नहीं वरन वह विद्या जिससे आपके जीवन में मुक्ति के पुष्प महकें। सा विद्या विमुक्तये। एहिक विद्या के साथ-साथ ऐसी मुक्तिप्रदायक विद्या, ब्रह्मविद्या आपके जीवन में आए, इसके लिए सरस्वतीजी का पूजन किया जाता है। आपका वित्त आपको बांधने वाला न हो, आपका धन आपकी आयकर भरने की चिंता को न बढ़ाये, आपका वित्त आपको विषय-विकारों में न गिरा दे, इसीलिये दीपावली की रात्रि को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। लक्ष्मी आपके जीवन में महालक्ष्मी हो कर आए। वासनाओं के वेग को जो बढ़ाये, वह ‘वित्त’ है और वासनाओं को श्रीहरि के चरणों में पहुंचाये, वह ‘महालक्ष्मी’ है। नारायण में प्रीति करने वाला जो वित्त है, वह है महालक्ष्मी।
नूतन वर्ष दीपावली वर्ष का आखरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।
दीपावली की रात्रि में वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए शुभ संकल्प करके सोयें। उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए नववर्ष के प्रभात में अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनो, साधु-संतों को प्रणाम करके तथा अपने सद्गुरु के श्रीचरणों में जाकर नूतन वर्ष के नए प्रकाश, नए उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्मरस, आत्मानंद,मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है ‘नूतन वर्ष’।
लक्ष्मी पूजन विधि
दीपों का त्यौहार-‘दीपावली’। दीपावली की रात्रि को सरस्वतिजी और लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। ज्ञानीजन केवल अखूट धन की प्राप्ति को लक्ष्मी नहीं, वित्त मानते हैं। वित्त से आपको बड़े-बड़े बंगले मिल सकते हैं, शानदार महंगी गाडियाँ मिल सकती हैं, आपकी लंबी-चौड़ी प्रशंसा हो सकती है परंतु आपके अंदर परमात्मा का रस नहीं आ सकता। इसीलिए दीपावली की रात्रि को सरस्वतीजी का भी पूजन किया जाता है, जिससे लक्ष्मीजी के साथ-साथ आपको विद्या भी मिले। वह विद्या भी केवल पेट भरने की विद्या नहीं वरन वह विद्या जिससे आपके जीवन में मुक्ति के पुष्प महकें। सा विद्या विमुक्तये। एहिक विद्या के साथ-साथ ऐसी मुक्तिप्रदायक विद्या, ब्रह्मविद्या आपके जीवन में आए, इसके लिए सरस्वतीजी का पूजन किया जाता है। आपका वित्त आपको बांधने वाला न हो, आपका धन आपकी आयकर भरने की चिंता को न बढ़ाये, आपका वित्त आपको विषय-विकारों में न गिरा दे, इसीलिये दीपावली की रात्रि को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। लक्ष्मी आपके जीवन में महालक्ष्मी हो कर आए। वासनाओं के वेग को जो बढ़ाये, वह ‘वित्त’ है और वासनाओं को श्रीहरि के चरणों में पहुंचाये, वह ‘महालक्ष्मी’ है। नारायण में प्रीति करने वाला जो वित्त है, वह है महालक्ष्मी।
नूतन वर्ष दीपावली वर्ष का आखरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।
दीपावली की रात्रि में वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए शुभ संकल्प करके सोयें। उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए नववर्ष के प्रभात में अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनो, साधु-संतों को प्रणाम करके तथा अपने सद्गुरु के श्रीचरणों में जाकर नूतन वर्ष के नए प्रकाश, नए उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्मरस, आत्मानंद,मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है ‘नूतन वर्ष’।
लक्ष्मी पूजन विधि